नन्हा मछुआरा
हीरू है इक नन्हा मछुआरा
देखा उसने सागर सारा
सागर में आईं कितनी लहरें
लहरों से वो कभी न हारा
हीरू की नाव है छोटी
छोटी नाव की पतवार भी छोटी
पर है वो साहस की धारा
नाम है उसका भोर का तारा
सुबह सवेरे वो उठ जाता
नाव को अपनी खूब सजाता
धीरे से वो आगे बढ़ता
लहरों पर वो उठता तिरता
सागर से वो बातें करता
लहरों से खिलवाड़ वो करता
बादल की हर आहट सुनता
वायु की हर चाल समझता
झोला-भर वो मछली लाता
उसको तो बस इतना आता
माँ देख कर खूब इतराती
प्यार से उसकी आँखें भर आती