Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

नदी (पहले और आज)

नदी पहले और आज
नदी किनारे मिलती थी चैन और आराम ,
कभी-कभी हम करने आते थे यहां विश्राम।
लेकिन वह नदी पहले जैसा नहीं रही ,
कचड़े का ढेर है बन गई।
जहां कभी हवाओं का आनंद लेते थे ,
ताजी हवाएं अपनी अंदर भरते थे।
लेकिन अभी नाक सिकुड़े रखते हैं ,
वहां जाने से भी कतराते रहते हैं।
पक्षियों की बोली जहां पर सुनाई देती थी ,
वहीं पर है मच्छर मक्खियां भिनभिना रही ।
मानचित्र में तो है स्थान इस नदी का,
लेकिन किसे पता इसकी है यह दशा।
हर नदियां बहती है मनुष्यों का उपकार करती है ,
लेकिन मनुष्य तो उसको नकार देती है।
जहां पर तन का मैल रगड़ कर साफ़ करते थे ,
जहां पर मन उदास होने पर बैठते थे ।
लेकिन वहां कचड़े का बस्ता फेंका जाता है,
और नदी को गंदा किया जाता है।
प्राकृतिक सुंदरता किसी को ना सुहाता है ,
सभी को बस अपना ही घर साफ रखना है ।
मनुष्य क्यों यह भूल करते जा रहे हैं ,
और अपनी ही दुर्गति बुला रहे हैं।
प्रकृति को शांत देख जो उस पर अत्याचार किया जाता है,
उसके विपरीत प्रत्युत्तर भी समय-समय पर मिलता है ।
लेकिन सीख तो नहीं पाते हैं ,
वही गलतियां करते ही जाते हैं ।
अपनी -अपनी सुविधा के लिए,
भविष्य के विषय में नहीं सोचते हैं ।
मनुष्य की यह स्वार्थपरता विनाशोन्मुख हो रही है,
और पर्यावरण रोगयुक्त हो गई है।
उत्तीर्णा धर

Language: Hindi
1 Like · 31 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
Rj Anand Prajapati
फिर जिंदगी ने दम तोड़ा है
फिर जिंदगी ने दम तोड़ा है
Smriti Singh
तन के लोभी सब यहाँ, मन का मिला न मीत ।
तन के लोभी सब यहाँ, मन का मिला न मीत ।
sushil sarna
गीत।।। ओवर थिंकिंग
गीत।।। ओवर थिंकिंग
Shiva Awasthi
बिहार में डॉ अम्बेडकर का आगमन : MUSAFIR BAITHA
बिहार में डॉ अम्बेडकर का आगमन : MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
तेरा मेरा रिस्ता बस इतना है की तुम l
तेरा मेरा रिस्ता बस इतना है की तुम l
Ranjeet kumar patre
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
कवि रमेशराज
"" *पेड़ों की पुकार* ""
सुनीलानंद महंत
संस्कृत के आँचल की बेटी
संस्कृत के आँचल की बेटी
Er.Navaneet R Shandily
𑒫𑒱𑒬𑓂𑒫𑒏 𑒮𑒧𑒮𑓂𑒞 𑒦𑒰𑒭𑒰 𑒏𑒹𑒿 𑒯𑒧 𑒮𑒧𑓂𑒧𑒰𑒢 𑒠𑒻𑒞 𑒕𑒲 𑒂 𑒮𑒲𑒐𑒥𑒰 𑒏 𑒔𑒹𑒭𑓂𑒙𑒰 𑒮𑒯𑒼
𑒫𑒱𑒬𑓂𑒫𑒏 𑒮𑒧𑒮𑓂𑒞 𑒦𑒰𑒭𑒰 𑒏𑒹𑒿 𑒯𑒧 𑒮𑒧𑓂𑒧𑒰𑒢 𑒠𑒻𑒞 𑒕𑒲 𑒂 𑒮𑒲𑒐𑒥𑒰 𑒏 𑒔𑒹𑒭𑓂𑒙𑒰 𑒮𑒯𑒼
DrLakshman Jha Parimal
क्या हिसाब दूँ
क्या हिसाब दूँ
हिमांशु Kulshrestha
मैं अपना जीवन
मैं अपना जीवन
Swami Ganganiya
हम ऐसी मौहब्बत हजार बार करेंगे।
हम ऐसी मौहब्बत हजार बार करेंगे।
Phool gufran
गमे दर्द नगमे
गमे दर्द नगमे
Monika Yadav (Rachina)
डर लगता है।
डर लगता है।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
#दोहा-
#दोहा-
*प्रणय प्रभात*
उफ़  ये लम्हा चाय का ख्यालों में तुम हो सामने
उफ़ ये लम्हा चाय का ख्यालों में तुम हो सामने
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
वर्षा
वर्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2774. *पूर्णिका*
2774. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मिलना तो होगा नही अब ताउम्र
मिलना तो होगा नही अब ताउम्र
Dr Manju Saini
हर जगह तुझको मैंने पाया है
हर जगह तुझको मैंने पाया है
Dr fauzia Naseem shad
Exploring the Vast Dimensions of the Universe
Exploring the Vast Dimensions of the Universe
Shyam Sundar Subramanian
बैठे-बैठे यूहीं ख्याल आ गया,
बैठे-बैठे यूहीं ख्याल आ गया,
Sonam Pundir
अपनी अपनी सोच
अपनी अपनी सोच
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
पूछो हर किसी सेआजकल  जिंदगी का सफर
पूछो हर किसी सेआजकल जिंदगी का सफर
पूर्वार्थ
जीवन है आँखों की पूंजी
जीवन है आँखों की पूंजी
Suryakant Dwivedi
अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस
अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस
डॉ.सीमा अग्रवाल
तस्वीरों में तुम उतनी कैद नहीं होती हो,
तस्वीरों में तुम उतनी कैद नहीं होती हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हो गए दूर क्यों, अब हमसे तुम
हो गए दूर क्यों, अब हमसे तुम
gurudeenverma198
तुम्हें अकेले चलना होगा
तुम्हें अकेले चलना होगा
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Loading...