*नदी झील झरने पर्वत, सारा संसार तुम्हारा है (हिंदी गजल/ गीतिका)*
नदी झील झरने पर्वत, सारा संसार तुम्हारा है (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
धरा-धाम पर जो भी है, वह सब विस्तार तुम्हारा है
नदी झील झरने पर्वत, सारा संसार तुम्हारा है
2
हमें मिला या नहीं मिला, जो कुछ भी सुंदर इस जग में
छुपा हुआ उन सब में ही, केवल आधार तुम्हारा है
3
ऑंखों से दिखलाई पड़ता, नाद सुन रहे कानों से
हाथ चल रहे-पैर सबल, सौ-सौ आभार तुम्हारा है
4
भॉंति-भॉंति के वृक्ष, फूल फल अन्न उग रहे खेतों में
हरी घास धरती अंबर, यह सब आकार तुम्हारा है
5
रोज जन्म ले रहे जगत में, मरते प्रतिदिन जीव यहॉं
मंगलमय लीलाधारी, यह भी व्यवहार तुम्हारा है
6
फल फूल वस्त्र मिष्ठान आदि से, हम पूजन करते हैं
वस्तु मिली जो तुमसे, उनसे ही सत्कार तुम्हारा है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451