नदी।
नदी।
नदी हजारन बहैत,
छल छल बहैत।
पानी जेका दूध बहैत।
धरती के पर्वत जेका,
हजारन स्तन से।
पानी जेका दूध पिबैत।
हजारन पादप-अपादप ।
हजारन जीव -जंतु,
पुत्र पुत्री जेका,
माय धरती के।
परिपूर्ण करैत।
धन्य धान्य सं।
शश्य श्यामला बनबैत।
नदी नीर सं,
माय धरती के।
पानी जेका दूध बहैत।
दूधमती बहैत।
बागमती,अधबारा, लखनदेई,
कोशी, कमला, जमुरा,
माय धरती के।
हजारन नदी बहैत।
गंगा, जमुना सन।
नीर सन दूध बहैत।
हजारन स्तन सं,
रामा धरती के।
सर्वाधिकार @रचनाकाराधीन।
रचनाकार -आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।