‘नटखट नटवर'(डमरू घनाक्षरी)
1-
मुख मुदित वचन,
मचल सचल तन,
पनघट अहिरन,
भर घट रख सर।
उछल उछल सब,
ढलक-मलक तब,
हरख फरख जब,
लख मिल सहचर।
लखत झलक फट,
चढ़ द्रुत तरु पर,
सर कर प्रस्तर ,
घट जल तर तर।
बसु चतुर ललन,
कस कमर वसन,
ढकत वदन तन,
विटपन दल पर।।
2-
इत उत लटकत,
दधि घट पटकत,
मुख पर छलकत,
झलक वसन पर।
ब्रज वधु सट चल,
बन कर दल बल,
हिय सकल विकल,
मदन सुघड़ घर।
मुख कटु कुवचन,
लख छवि चितवन,
बिसरत अवगुन,
झप न पलक पर।
मन पर द्युति छप,
सुमिर सुमिर जप,
पहर – पहर तप,
तज सब घर बर।।