जो तुम आ बैठ जाते तो
महज लहरें यहीं होती,
समुंदर का किनारा होता ।
जो तुम आ बैठ जाते तो,
नज़ारा कुछ और ही होता।।
यकीनन तुम मेरे न होते,
मगर वो पल संवर जाता ,
जो तुम आ बैठ जाते तो,
नज़ारा कुछ और ही होता ।।
जी लेता उम्र सारी मैं,
अगर मिलना जो हो पाता।
जो तुम आ बैठ जाते तो,
नज़ारा कुछ और ही होता।।