नज़र नहीं आते
नंगे-भूखे
नज़र नहीं आते
ह्रदय संवेदना से
जो भर जाते
निर्धनता-विवशता
कहीं नहीं होती ।
मनुष्य यदि
मनुष्यता से
भर जाते !
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
(बदायूंनी)
नंगे-भूखे
नज़र नहीं आते
ह्रदय संवेदना से
जो भर जाते
निर्धनता-विवशता
कहीं नहीं होती ।
मनुष्य यदि
मनुष्यता से
भर जाते !
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
(बदायूंनी)