Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Oct 2017 · 1 min read

नजर कातिल दिखाई दे

जिधर घूमे नज़र तेरी उधर #महफ़िल दिखाई दे।
हुनर पे जाँ लुटी सबकी, नज़र कातिल दिखाई दे।।

हमीं बेचैन हैं बैठे, #तन्हाई क्यूँ चली आई।
हमें तो प्रेम-सागर में, नहीं साहिल दिखाई दे।।

वफ़ा के नाम पर साकी, पिलाते #बेवफ़ाई गम।
सुना, बेखौफ़ बस्ती में, चलन शामिल दिखाई दे।।

नई #आदत यही आई, दफन सब राज सीने कर।
दगा देते उसी को, पाक जिसका दिल दिखाई दे।।

लिखा ये क्या मुकद्दर में, जवाँ होकर #तड़पना जय।
पहर हर रात का दूजा, अगन तिल-तिल दिखाई दे।।

संतोष बरमैया #जय

2 Comments · 409 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वेदनामृत
वेदनामृत
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
■ लिख दिया है ताकि सनद रहे और वक़्त-ए-ज़रूरत काम आए।
■ लिख दिया है ताकि सनद रहे और वक़्त-ए-ज़रूरत काम आए।
*Author प्रणय प्रभात*
कल बहुत कुछ सीखा गए
कल बहुत कुछ सीखा गए
Dushyant Kumar Patel
*खो दिया सुख चैन तेरी चाह मे*
*खो दिया सुख चैन तेरी चाह मे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
💐प्रेम कौतुक-267💐
💐प्रेम कौतुक-267💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Bus tumme hi khona chahti hu mai
Bus tumme hi khona chahti hu mai
Sakshi Tripathi
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
सत्साहित्य कहा जाता है ज्ञानराशि का संचित कोष।
सत्साहित्य कहा जाता है ज्ञानराशि का संचित कोष।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
प्रकृति में एक अदृश्य शक्ति कार्य कर रही है जो है तुम्हारी स
प्रकृति में एक अदृश्य शक्ति कार्य कर रही है जो है तुम्हारी स
Rj Anand Prajapati
आप हो
आप हो
Dr.Pratibha Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
व्यथा पेड़ की
व्यथा पेड़ की
विजय कुमार अग्रवाल
कॉफ़ी की महक
कॉफ़ी की महक
shabina. Naaz
मनोरम तेरा रूप एवं अन्य मुक्तक
मनोरम तेरा रूप एवं अन्य मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वो मेरे दर्द को
वो मेरे दर्द को
Dr fauzia Naseem shad
2787. *पूर्णिका*
2787. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ना मसले अदा के होते हैं
ना मसले अदा के होते हैं
Phool gufran
Jeevan ke is chor pr, shanshon ke jor pr
Jeevan ke is chor pr, shanshon ke jor pr
Anu dubey
***
*** " नाविक ले पतवार....! " ***
VEDANTA PATEL
चन्दा लिए हुए नहीं,
चन्दा लिए हुए नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
सत्य कुमार प्रेमी
मैं तो महज वक्त हूँ
मैं तो महज वक्त हूँ
VINOD CHAUHAN
अपना ही ख़ैर करने लगती है जिन्दगी;
अपना ही ख़ैर करने लगती है जिन्दगी;
manjula chauhan
"मैं तेरी शरण में आई हूँ"
Shashi kala vyas
जिन्दगी की शाम
जिन्दगी की शाम
Bodhisatva kastooriya
महोब्बत की बस इतनी सी कहानी है
महोब्बत की बस इतनी सी कहानी है
शेखर सिंह
तन के लोभी सब यहाँ, मन का मिला न मीत ।
तन के लोभी सब यहाँ, मन का मिला न मीत ।
sushil sarna
ना फूल मेरी क़ब्र पे
ना फूल मेरी क़ब्र पे
Shweta Soni
*कहाँ साँस लेने की फुर्सत, दिनभर दौड़ लगाती माँ 【 गीत 】*
*कहाँ साँस लेने की फुर्सत, दिनभर दौड़ लगाती माँ 【 गीत 】*
Ravi Prakash
कहां बिखर जाती है
कहां बिखर जाती है
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
Loading...