“नजरों से न गिरना”
“नजरों से न गिरना”
ईमान किसी हिस्से में
अगर बचे हों शेष
तो ऐ मेरे दोस्त
मरना पड़े तो मरना,
मगर चाहे जो हो
नजरों से तुम न गिरना।
“नजरों से न गिरना”
ईमान किसी हिस्से में
अगर बचे हों शेष
तो ऐ मेरे दोस्त
मरना पड़े तो मरना,
मगर चाहे जो हो
नजरों से तुम न गिरना।