नगर से दूर……
नगर से दूर गाँव में छोटी बस्ती सी एक
हरे भरे खेतों के समीप सुखद आराम
सुगंध भरी वायु बहती मंत्रमुग्ध कर
रंग बिरंगे परिदृश्य में नयनाभिराम
टूटे फूटे खपरैल के वहाँ दिखते घर
स्वत्रंत हो सब परिंदे विचरते नभ
सुने पथ पर बिखरे पल्लव पंक दल
कोयल की गान,कीट पतंगों की कलकल
चिमनी की मद्धम सी लौ से सदन जगमग
बिखेरती वसुंधरा मोती गिन गिनकर।।।