नए विचारों की शुरूआत
खुल चुका है नव्य द्वार
आ गया नववर्ष का त्यौहार
खुल गयी नव्य विचारों की पिटारी
है कुसुमित, हुईं कलियाँ न्यारी।
खिले हैं रंग- बिरंगे पुष्प उपवन के,
आये हैं नए- नए विचार मन में,
पुलकित हो उठा है मन
प्रफुल्लित हो उठा है तन
मन में है प्रसन्नता अपार
आ गया नववर्ष का त्यौहार।
मिटाकर रात्रि के तिमिर को
आया है एक नव्य प्रभात उजाल
भूलकर तुम बीती बातों को
कर एक एक नई शुरूआत।
आशाओं की नव्य किरण से
खुशियों के नए पवन मलय से
प्रकाशमय हो गया है जग संसार
कभी न रुकेंगे हमारे पग रुनझुन नूपुर के।
असफलताओं से घबराकर
थककर बैठ न तू बन्दे
कर पुनः एक गहरा प्रहार
आ गया नववर्ष का त्यौहार।