नए मुहावरे का चाँद
नीम रौशनी चाँद की
शीतल होती रात की
नीम अंधेरा चाँद का
गहना सा है धरती का
नीम रौशनी और अंधेरा
दुन्नो मिल जब डाले डेरा
धरती जाती सँवर ग़ज़ब
चाँद का इतराना इस पर
लागे भला भोरा करतब
चाँद धरा से दूर न अब
पुए पकते न गुड़ के अब
सूत न काटती अब बुढ़िया
पानी गर मिल जाए वहाँ तो
धरती सी हो जाए चंदा की दुनिया
धरती सा चाँद का होना ठीक नहीं
कि धरती की दुनिया ठीक नहीं
नादां बच्चे भले अब भी ठगे जाएं
चाँद कहानियां अब भी सुनी जाएं
चाँद कथाएं रहें भले अब भी
बच्चे भी फुसलाये जाएं सही
सगरे रस्मी ज्ञान अब चांद के फीके
विज्ञान ने खोल डाले जब रहस्य समूचे
चांद सा रौशन चेहरा जब बोलो
सोचो समझो और तर्क पर तौलो
छुपे गड्ढे ज्यों चाँद के चेहरे के पीछे
रौशन चेहरे का यूँ मतलब क्या
जबतक उसके पीछे के दाग न रीते।