नई सुबह
नए वर्ष की नई सुबह से,
जीवन में यह उपहार मिले।
जय हो जीवन रूपी रण में,
स्वागत करता हर द्वार मिले।
सत्य हो हर स्वप्न तुम्हारा,
ह्रदय-सीप में जो भी पले।
खुशियां छाऍं रे मनभावन,
हंसता सा मादक प्यार मिले।
जय हो जीवन रूपी रण में ,
स्वागत करता हर द्वार मिले।
घटा ना छाए उदासी की,
तृप्ति की मोहक मुस्कान खिले।
नव अर्थ मिले इस जीवन को,
जीवन को नव श्रृंगार मिले।
जय हो जीवन रूपी रण में,
स्वागत करता हर द्वार मिले।
फूल खिले तेरे ऑंगन में,
फूलों की यूं मनुहार मिले।
पतझर ना आए तब उपवन,
बस ऐसी अमर बहार मिले।
जय हो जीवन रूपी रण में,
स्वागत करता हर द्वार मिले।
—प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव,
अलवर(राजस्थान)