नई शुरुवात
फिर एक नई शुरुवात करते है ।
जिंदा हसरतें हालात करते है ।
थम गई जिंदगी जहां की तहां ,
फ़िर चलने की बात करते है ।
सजा कर दिलो ग़म क़रीने से ,
खुशियों से मुलाक़ात करते है ।
समेट कर चाहतें दामन में ,
जवां फिर ज़ज्वात करते है ।
है धुंधला साँझ का मंजर”निश्चल”
रौशन रौशनी ख़यालात करते है ।
फिर एक नई शुरुवात करते है ।
जिंदा हसरतें हालात करते है ।
….विवेक दुबे”निश्चल”@..