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21 Feb 2024 · 1 min read

नई नसल की फसल

नई नसल की फसल ये मानव कैसी उगा रहा है।
अपने पिता को बच्चा चलना सीखा रहा है ।।
बिना सोचे समझे ही बच्चे क्या क्या बोल रहे हैं।
नहीं बोलनी चाहिएं जो बातें सब बोल रहे है।।
सैनिक की शहादत का तो इनको कोई ज्ञान नहीं है।
देशद्रोही की बातों पर जमकर डिबेट बोल रहे है।।
बड़ी बड़ी दुकानों पर जाकर अपनी जेब कटाते हैं।
पर भूखा यदि दो रोटी मांगें तो उसको मार भागते हैं।।
बाहरी सुंदरता को पाने की खातिर क्या क्या करवाते हैं।
आंतरिक सुंदरता के बारे में कुछ भी सुनना नहीं चाहते हैं।।
अमीर के दामन पर लगे दाग को ये देख नहीं पाते हैं।
गरीब की चादर के छेद का हंसकर मजाक उड़ाते हैं।।
जमाने भर के हर रिश्ते को खुशी खुशी अपनाते हैं।
मगर घर में पड़े जरूरत तो ये रिश्ते भी भूल जाते हैं।।
कहे विजय बिजनौरी बदलते बच्चे ही हमें बताते हैं।
बदलाव प्रकृति का नियम है यह बात हमें समझाते हैं।।

विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।

Language: Hindi
107 Views
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