नई औरत
उफ्फ किस क़दर मिलते हैं
मेरे ख़्याल तेरे ख़्याल के साथ
मुझे तो तेरा ज़हन भी पसंद है
तेरे ज़माल के साथ…
(१)
मैं तेरे इस अहसान का
कैसे करूं शुक्रिया अदा
तूने मेरी ज़िंदगी में
रोशनी भी भरी है गुलाल के साथ…
(२)
मैंने उससे इश्क़ ही नहीं
इंकलाब भी लिखा है
तूने मुझे एक क़लम भी दी थी
एक रूमाल के साथ…
(३)
ये दुनिया तुझे अभी तक
ना समझी है ना समझेगी
तुझमें एक ठंडक भी है
एक उबाल के साथ…
(४)
तुझमें केवल एक खूबी
अगर हो तो मैं बताऊं
तू मासूमियत भी रखती है
मजाल के साथ…
(५)
हुनर ही तेरे लिए
असली ज़ेवर है
तू तो किरदार भी संवारती है
अपने बाल के साथ…
(६)
मैं किस बात का शिकवा
करूं तुझसे आख़िर
तूने एक राहत भी तो दी है
मुझे मलाल के साथ…
(७)
बैठने से उठने तक
तेरी हर अदा में एक लय है
तू नाराज़ भी होती है तो
एक ताल के साथ…
(८)
जिस काम को भी तू अपने
हाथ में लेती है
उसे अंज़ाम तक पहुंचाती
किस क़माल के साथ…
(९)
इंसानी हुक़ूक़ और
इंसाफ़ को लेकर
तू ज़वाब भी ढूंढ़ती है
अपने सवाल के साथ…
(१०)
कोई दरवाज़ा ही न हो तो
एक घर भी है क़ब्र
तू खिड़की भी चाहती है
हर दीवाल के साथ…
(११)
घुट-घुटकर जीना तो
खुदकुशी है तेरे लिए
तेरा हर दिन गुजरता है
एक धमाल के साथ…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)
#BeautyWithBrain
#FeministPoetry