नंदिनी (कहानी)
जनवासे से लड़की के घर तक नाचते आतिशबाजी करते दो-तीन घंटे में बरात पहुंची थी। द्वाराचार के पश्चात वरमाला भी हो गई थी, घराती एवं बारातियों के दूल्हा दुल्हन के साथ फोटो खिंचवाने का कार्यक्रम चल रहा था, सभी बहुत खुश थे, तभी अचानक एक जीप आई जिसमें ४ _५ लोग एवं एक युवती आई थी, जो रवि ( दूल्हा) के पिता एवं जीजा को एक और ले जाकर बात कर रहे थे। बीच-बीच में बात जोर-जोर से होने लगती थी, शादी विवाह के माहौल में किसी का अधिक ध्यान नहीं गया। थोड़ी देर के बाद दूल्हे के पिता एवं जीजा जी ने लड़की के पिता को बुलाकर कहा कि अब शीघ्र फेरे करवा लीजिए क्योंकि लड़के की दादी का निधन हो गया है इसलिए हम शीघ्र घर जाएंगे अभी बहू की विदा नहीं कराएंगे। समय की गंभीरता को देखते हुए शीघ्र फेरे करवा दिए गए एवं बरात शीघ्र रवाना हो गई। लेकिन लड़की के पिता एवं सभी रिश्तेदारों के पैरों तले जमीन जब खिसक गई जब पता चला कि कोई दादी बादी का निधन नहीं हुआ है, जीप में जो लोग एवं युवती आई थी, दूल्हे ने पहले ही उससे कोर्ट मैरिज कर ली थी। यहां बारात को जूते ना पड़ें कानून से डरकर बारात आनन-फानन में बिना बहू की विदा कराए वापस चली गई है। यह बात कोई भला मानुस बाराती जाते-जाते लड़के के किसी रिश्तेदार को बता कर चला गया था। सुनकर नंदिनी( दुल्हन) तो जैसे पथरा गई कितने सपने संजोए थे पलभर में ही चकनाचूर हो गए। सुबह ही लड़की के पिता कुछ रिश्तेदारों के साथ लड़के के गांव रवाना हुए पहुंचकर पता चला जो जानकारी मिली थी सत्य थी। लड़के ने कुछ ही दिन पहले एक दलित लड़की से कोर्ट मैरिज कर ली थी। लड़के रिश्तेदार लड़की वालों से बार-बार माफी मांग रहे थे, कह रहे थे इस बारे में हमें बिल्कुल पता नहीं चला था जब वह लड़की और उसके चार रिश्तेदार वहां हंगामे के मकसद एवं पुलिस कार्रवाई की बात कर रहे थे, इसलिए हमने आपसे झूठ बोला आप की लड़की आपके घर में है, समझो भगवान ने हमें बचा लिया आपका जो खर्च हुआ है हम सब भुगतान करने तैयार हैं। लड़के के पिता ने कहा हमारी इज्जत, लड़की की बदनामी, कैंसे होगी उसकी दूसरी शादी? बहुत बातें हुई आखिर लड़की वाले यही संतोष कर रह गए, चलो अच्छा हुआ लड़की को विदा नहीं किया, आगे कानूनी पचड़े में ना पढ़ते हुए वह घर लौट आए नंदनी घरवाले सभी दुखी रहने लगे। नंदिनी की सगाई तो आती, लेकिन कहीं ना कहीं से अतीत में हुई शादी का पता लगते ही कोई शादी को तैयार ना होता। क्योंकि हमारा समाज है ही ऐसा, सारी बुराइयों का ठीकरा लड़की के सर ही फोड़ता है, चाहे गलती किसी की भी क्यों न हो। आखिर एक रिश्ता मिला विदुर था, 2 माह का बच्चा छोड़ पत्नी मर गई थी, उसे दूसरी पत्नी की आवश्यकता थी, बच्चा जो पालना था, शादी कर दी गई, नंदनी भी बच्चा पालने में लग गई। लगभग 2 वर्ष बाद नंदनी भी गर्भ से हो गई, एवं एक सुंदर बालक को जन्म दिया। लेकिन बालक का जन्म होते ही ससुराल बारे सास ससुर यहां तक कि पति भी नंदनी को प्रताड़ित करने लगे, हल्की सोच थी, उनका सोचना था जायदाद बंट जाएगी यह सौतेली मां है, आखिर अत्याचार सहते सहते नंदिनी को अपने बच्चे के साथ ससुराल छोड़नी पड़ी, मायके में आई लेकिन परिस्थितियों बस मायके में भी उसे सहारा नहीं मिला, बच्चा था खुद थी। मेहनत मजदूरी घरेलू काम कर नंदनी अपने बच्चे को पढ़ा रही थी। आखिर 20 वर्ष निकल गए नंदिनी का बेटा शिक्षक बन चुका था। एक दिन पहली शादी जिससे हुई थी वह आ गए बोले, हमें कोई औलाद नहीं है, अगर तुम साथ चलो तो यह सब तुम्हारा तुम्हारे बच्चे का हो सकता है, क्योंकि तुम्हारी बिधिबत शादी समाज के सामने हुई थी, नंदनी को लाल जोड़े में बिना विदा के दुल्हन बनने से लेकर सारे संघर्ष याद आ गए, आंखों में आंसू थे। तभी जहां दूसरी शादी हुई थी उनकी खबर आ गई कि जो पूर्व पत्नी से बच्चा हुआ था, जो नंदिनी ने पाल पोस कर बड़ा किया था उसका देहांत हो गया है। अब तुम अपने घर चलो यह सारी ज्यादा तुमको और तुम्हारे लड़के को मिलेगी। नंदिनी और नंदिनी के शिक्षक पुत्र ने ठंडी आह भरी, समाज का स्वार्थी एवं घिनौना चेहरा सामने था, इन खबरों के पलों में 25 साल पुराने संघर्ष में जी लिए हों, दोनों ने कहा माफ करें अब हमें आप लोगों से आप की जमीन जायदाद से कोई लेना देना नहीं है, हमें कुछ नहीं चाहिए। अब आप अपने कर्म भुगतो,समय के साथ हमारे घाव भर गए हैं,जब हमें आप लोगों की महती आवश्यकता थी,तब आप लोगों ने धोखा दिया,अब जब भगवान ने आपको अपने कर्मों की सजा दी, तो तुम्हें बेटा पत्नी याद आ रहे हैं,धिक्कार है ऐसी समाज व्यवस्था पर।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी