ध्यान धर खुद को तू टटोल
ध्यान धर खुद को तू टटोल।
मूंद नयन मन को तू टटोल।।
मत समझ तूने किए सुंदर करम,
यह है तेरे मन का झूठा भरम,
जैसे करम तू यहां करेगा,
वैसे ही फल यहां पायेगा,
मत बोल तू कभी झूठे बोल,
ध्यान धर खुद को तू टटोल।
मूंद नयन मन को तू टटोल।।
सूर्य की तरह सबको दे प्रकाश ,
अम्बर अवनि को दे तू प्रकाश ,
शाम को जब होगा तू विदा
सबको कहेगा तू अलविदा,
तम की गठरी तू अब खोल,
ध्यान धर खुद को तू टटोल।
मूंद नयन मन को तू टटोल।।
मन तेरा ऐसा चलायमान है,
उड़ता जैसा कोई वायुयान है,
मन को तू कर ले स्वच्छ,
नहाने से न होगा स्वच्छ,
इंद्रियों को तू कर कंटोल,
ध्यान धर खुद को तू टटोल।
मूंद नयन मन को तू टटोल।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम