Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2024 · 3 min read

ध्यान क्या है, ध्यान क्यों करना चाहिए, और ध्यान के क्या क्या फायदा हो सकता है? – रविकेश झा

नमस्कार दोस्तों ध्यान के बारे में कुछ जानकारी साझा कर रहा हूं, और साथ ही हमारे मन में जो प्रश्न उठते उसके प्रति हमें जागरूक होना होगा, देखना होगा, संदेह करना होगा। जीवन तो हम जी रहे हैं लेकिन क्या हमें आनंद मिलता है नहीं, हम खुशी में जीते हैं फिर दुखी होते हैं। जब खुशी और दुःख समाप्त होता है वहीं से आनंद आरंभ होता है।

देखना होगा हमें जीवन में खिलना होगा, ताकि हम उठ सके और निरंतर प्रयास से जीवन के हर गतिविधि पहलू को जान सके, देख सके तभी हम पूर्ण आनंदित होंगे। हमें स्वयं से प्रश्न पूछना होगा।

ध्यान क्या है, ध्यान क्यों करना चाहिए, और ध्यान के क्या क्या फायदा हो सकता है?
1. ध्यान क्या है ?
ध्यान एक रास्ता हैं जिसके मदद से हम अपने आप को जीवंत कर सकते है, जाग सकते हैं साथ ही अगर जागरूकता हो तो हमें स्वयं के जीवन से प्रेम होना आरंभ हो जाता है, हम खिल उठते हैं, हम लोग अधिक बेहोश में जीते है, जिससे हमें दुख, दर्द, क्रोध, वासना मन की बक बक सुरु होता है, और अगर हम होश को अपना मित्र बना लेते है तब शांति और करुणा, प्रेम, और अंत में परम शांति उपलब्ध हों सकता है,।

2. ध्यान क्यों करना चाहिए ?

ध्यान तो हम प्रतिदिन करते ही है, लेकिन बेहोश में जिसका परिणाम से बस दुख महसूस होता है, क्रोध ही क्रोध, कामना, घृणा, कठोरता, और अंत में रोते है दुख होता है, ये सब हमारे जीवन में प्रतिदिन होता है, इसका मतलब ये नहीं की जो ध्यान या ज्ञान को उपलब्ध हो गया उनके जीवन में ये सब नहीं होता है, होता है बस वो उसको ध्यान के नजर से देखते है, और वो स्वयं जानने में समर्थ हो जाते है की क्यों है ये और इसका उपाय क्या है, वो जान लेते है की खुद की खोज में जो आनंद है वो और कहीं नहीं इसलिए वो स्वयं के साथ जीना चाहते है। सबसे बड़ा धन, कृति ,, प्रेम, करुणा ,ये सब उनको स्वयं में मिल जाते है।

3. ध्यान के फायदे ?

ध्यान के फायदे ही फायदे है, और हम स्वयं में खो जाते है, जब उनको ये पता चलता है कि ध्यान वो राह हैं जिससे वो स्वयं में अंतर्मन हो जाते है, परमानंद और शांति और आस पास सभी से प्रेम होने लग जाता है, तो वो और कोई चीज नहीं पाना चाहते है, बस होश को पाना चाहते है, जीवन को पाना चाहते है, और उनका कामना कम एवं करुणा प्रेम अधिक हो जाता है,।

अधिकतर पूछने वाले प्रश्न

हमसे अधिकतर लोग पूछते है, की ध्यान के लिए तो सन्यास लेना परता है, कहीं हिमालय, पर्वत पर जाना परता है।
ध्यानी कहते हैं, ध्यान कहीं भी हो सकता है, भागना नहीं है जागना है, भागोगे कहां, सब कुछ हर जगह मिलेगा ,बस जरूरी है की सुरु में सबसे अलग रखना है देखना है खोजने के प्रति अपने−आप को जागरूक करना है फिर आप को स्वयं सब जगह वस्तु या व्यक्ति सभी जीव जंतु से प्रेम हो जाता है, भागोगे तो फिर ध्यान नहीं, भगोड़ा या डरपोक हो जाओगे, जागो, न की भागो,।
धन्यवाद।
रविकेश झा।🙏❤️

142 Views

You may also like these posts

बहुत ही हसीन तू है खूबसूरत
बहुत ही हसीन तू है खूबसूरत
gurudeenverma198
अंतस के उद्वेग हैं ,
अंतस के उद्वेग हैं ,
sushil sarna
ज़िन्दगी में जो ताक़त बनकर आते हैं
ज़िन्दगी में जो ताक़त बनकर आते हैं
Sonam Puneet Dubey
3051.*पूर्णिका*
3051.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
* विजयदशमी *
* विजयदशमी *
surenderpal vaidya
हमको तन्हा छोड़ गया
हमको तन्हा छोड़ गया
Jyoti Roshni
*मन के मीत किधर है*
*मन के मीत किधर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
..
..
*प्रणय*
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह
sp122 दुनिया एक मुसाफिरखाना
sp122 दुनिया एक मुसाफिरखाना
Manoj Shrivastava
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सर सरिता सागर
सर सरिता सागर
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*** सैर आसमान की....! ***
*** सैर आसमान की....! ***
VEDANTA PATEL
मैं क्या खाक लिखती हूँ ??
मैं क्या खाक लिखती हूँ ??
MUSKAAN YADAV
जो अच्छा लगे उसे अच्छा कहा जाये
जो अच्छा लगे उसे अच्छा कहा जाये
ruby kumari
थोड़े योगी बनो तुम
थोड़े योगी बनो तुम
योगी कवि मोनू राणा आर्य
जब किसी से किसी को प्यार होता है...
जब किसी से किसी को प्यार होता है...
Ajit Kumar "Karn"
प्रतीक्षा, प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा
प्रतीक्षा, प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
आप रखिए ख़्याल बस अपना,
आप रखिए ख़्याल बस अपना,
Dr fauzia Naseem shad
तुझे भूलना इतना आसां नही है
तुझे भूलना इतना आसां नही है
Bhupendra Rawat
राही
राही
Rambali Mishra
"स्वतंत्रता के नाम पर कम कपड़ों में कैमरे में आ रही हैं ll
पूर्वार्थ
जो क्षण भर में भी न नष्ट हो
जो क्षण भर में भी न नष्ट हो
PRADYUMNA AROTHIYA
बेटी की पुकार
बेटी की पुकार
लक्ष्मी सिंह
बाबा लक्ष्मण दास की समाधि पर लगे पत्थर पर लिखा हुआ फारसी का
बाबा लक्ष्मण दास की समाधि पर लगे पत्थर पर लिखा हुआ फारसी का
Ravi Prakash
आज बगिया में था सम्मेलन
आज बगिया में था सम्मेलन
VINOD CHAUHAN
नए मुहावरे में बुरी औरत / मुसाफिर बैठा
नए मुहावरे में बुरी औरत / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
पग न अब पीछे मुड़ेंगे...
पग न अब पीछे मुड़ेंगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
चाँद - डी के निवातिया
चाँद - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
- मोहब्बत की मिसाले -
- मोहब्बत की मिसाले -
bharat gehlot
Loading...