धोखा
वीर कहां कब रोता है,
सर्वदा मृत्यु संग सोता है।
खुद खातिर नहीं चाहिए कुछ,
वह राष्ट्र समर्पित होता है।।
वह कठिन रास्ते चुनता है,
तुम चुन लेते हो गद्दारों को।
इस तरह से धोखा देते हो,
तुम देश के पहरे दारों को।
वीर कहां कब रोता है,
सर्वदा मृत्यु संग सोता है।
खुद खातिर नहीं चाहिए कुछ,
वह राष्ट्र समर्पित होता है।।
वह कठिन रास्ते चुनता है,
तुम चुन लेते हो गद्दारों को।
इस तरह से धोखा देते हो,
तुम देश के पहरे दारों को।