धैर्य
हौले हौले खेना प्राणी अपनी जीवन नैया
हम हैं कौन चलाने वाले खेवनहार कन्हैया।
धैर्य सदा तुम रखना संतोष कभी न खोना भैया
चाहे मिले फूलों भरी राहें या कांटों की शैया।
धीरज से टल जाते बंधु बड़े बड़े तूफान
धैर्य और शांति करती कठिन काम आसान।
नाम जपो उसका ही तुम और करो गुणगान
धीर पुरुष का तो पग-पग पर रक्षक है भगवान्।
धीरज रखा अहिल्या ने तो वह मानव बन पाई
रावण ने अधीरता के कारण अपनी जान गंवाई।
कृषक ने रखा धीरज तो वर्षा ने धरती नहलाई
माली रखता धैर्य तभी तो चमन महकते हैं भाई।
धीरज सीखो धरती माँ से छाती पर सृष्टि है बसाई
सीखो धैर्य माता से नौ माह कोख में जिन्दगी सजाई।
धीरज की तो माया ही है बहुत निराली भाई
धीर भीर गंभीर पर तो सदा प्रभु ने कृपा बरसाई।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान)
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©