धैर्य रखना सीखों
ऐ मेरे बच्चें सुन लो
एक पते की बात
आज तुम्हें बताती हूँ।
खुद को बनाना है काबिल तो,
पहले धैर्य रखना तुम सीखो।
जिन्दगी मे धैर्य का होना अति आवश्यक है।
धैर्य जिन्दगी का वह हिस्सा है
जिसकी जरूरत पग -पग पर पड़ती है।
अपने अन्दर की कमजोरी को
तुम्हें दूर भगाना है तो
सबसे पहले अपने अन्दर
धैर्य को जगाना होगा।
अपने गुस्सा पर तुम्हें
अगर काबू पाना है तो
सबसे पहले जीवन मे
धैर्य को अपना होगा।
सुनने की आदत को अपने
अन्दर विकसित करना होगा।
अपने भावनाओं पर तुम्हें
नियंत्रण करना सिखना होगा।
जितना जरूरत है तुम्हें
उतना ही बोलना होगा।
इसके लिए तुम्हें सबसे पहले
धैर्य रखना सिखना होगा।
अपने लक्ष्य का कर निर्धारण कर
धैर्य के साथ तुम्हें बढना होगा।
यह जीवन है आसानी से
ऐसे ही कुछ नही देता है।
अपनी मंजिल पाने के लिए
धैर्य के साथ
तुम्हे पुरा तैयार रहना होगा।
धैर्य तुम्हारा टूट गया अगर
कहाँ सफल हो पाओगे।
कहाँ फिर अपनी मंजिल को
तुम हासिल कर पाओगे।
इसलिए ऐ मेरे बच्चो
सबसे पहले अपने अन्दर
धैर्य को विकसित करना होगा।
धैर्य के साथ कर्म पथ आगे को
बढते रहना होगा।
तब जाकर तुम जीवन मे
अपनी उपलब्धियाँ हासिल कर पाओगें
जीवन मे कुछ बन पाओगे।
अनामिका