Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jul 2022 · 1 min read

धूल जिसकी चंदन है भाल पर सजाते हैं।

गज़ल

212…….1222…….212…….1222
धूल जिसकी चंदन है भाल पर सजाते हैं।
देश अपना जन्नत है शीश हम झुकाते हैं।

जिसमें खाये खेले हैं और नाम पाया है,
मातृभूमि से हम सब मां का प्यार पाते हैं।

जिंदगी हमारी ये आपकी मुहब्बत है,
हम इसी मुहब्बत पर दिल ओ जां लुटाते हैं।

गम ही गम समाए हैं मुफलिसों की दुनियां में,
अपनी बाजुओं से ही सारे ग़म उठाते हैं।

वोट ले के जनता से फिर कभी नहीं आए,
देश भाड़ में जाए देश बेच खाते हैं।

प्यार से जो निभ जाए जिंदगी वही प्रेमी,
रंजिशो की दुनियां में रिश्ते डूब जाते हैं।

………✍️ प्रेमी

Language: Hindi
1 Like · 292 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सत्य कुमार प्रेमी
View all
You may also like:
अरे धर्म पर हंसने वालों
अरे धर्म पर हंसने वालों
Anamika Tiwari 'annpurna '
-मां सर्व है
-मां सर्व है
Seema gupta,Alwar
"अगर"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ उत्तम विचार.............
कुछ उत्तम विचार.............
विमला महरिया मौज
किसी को सच्चा प्यार करने में जो लोग अपना सारा जीवन लगा देते
किसी को सच्चा प्यार करने में जो लोग अपना सारा जीवन लगा देते
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पुरुष चाहे जितनी बेहतरीन पोस्ट कर दे
पुरुष चाहे जितनी बेहतरीन पोस्ट कर दे
शेखर सिंह
अहंकार
अहंकार
Bindesh kumar jha
विचार, संस्कार और रस [ एक ]
विचार, संस्कार और रस [ एक ]
कवि रमेशराज
अगर प्रेम में दर्द है तो
अगर प्रेम में दर्द है तो
Sonam Puneet Dubey
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
Awadhesh Singh
3083.*पूर्णिका*
3083.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिम्मेदारी कौन तय करेगा
जिम्मेदारी कौन तय करेगा
Mahender Singh
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
Keshav kishor Kumar
बेगुनाही एक गुनाह
बेगुनाही एक गुनाह
Shekhar Chandra Mitra
*घर की चौखट को लॉंघेगी, नारी दफ्तर जाएगी (हिंदी गजल)*
*घर की चौखट को लॉंघेगी, नारी दफ्तर जाएगी (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*याद है  हमको हमारा  जमाना*
*याद है हमको हमारा जमाना*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"स्वप्न".........
Kailash singh
बच्चें और गर्मी के मज़े
बच्चें और गर्मी के मज़े
कुमार
साकार आकार
साकार आकार
Dr. Rajeev Jain
मेरी तो धड़कनें भी
मेरी तो धड़कनें भी
हिमांशु Kulshrestha
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ज़िंदगी है,
ज़िंदगी है,
पूर्वार्थ
*** एक दौर....!!! ***
*** एक दौर....!!! ***
VEDANTA PATEL
पुतलों का देश
पुतलों का देश
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
आहवान
आहवान
नेताम आर सी
जब आपका ध्यान अपने लक्ष्य से हट जाता है,तब नहीं चाहते हुए भी
जब आपका ध्यान अपने लक्ष्य से हट जाता है,तब नहीं चाहते हुए भी
Paras Nath Jha
■दूसरा पहलू■
■दूसरा पहलू■
*प्रणय प्रभात*
पहली दस्तक
पहली दस्तक
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
सच तो यही हैं।
सच तो यही हैं।
Neeraj Agarwal
पंख
पंख
पूनम कुमारी (आगाज ए दिल)
Loading...