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14 Dec 2017 · 1 min read

धूप

मंद मंद मुस्काती धूप
सकुचाती, शर्माती धूप

आवारा मेघों के डर से
घूंघट में छुप जाती धूप

आंख-मिचौली खेल रही है
छत पर आती जाती धूप

ऊन सिलाई ले हाथों में
रिश्तों को बुन जाती धूप

कुर्सी डाल गली में बैठी
घंटों तक बतियाती धूप

दूर कहीं “मासूम” खड़ी है
जाड़े से थर्राती धूप

मोनिका”मासूम”

1 Like · 263 Views
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