धूप
आते जाते हैं सुख दुख, जीवन तो चलता रहता है
कभी धूप है कभी छांव है,रात दिन ढलता रहता है
चलता रहता है समय चक्र,समय निकलता रहता है
कभी धूप है कभी छांव है, जीवन चलता रहता है
कभी धूप गुनगुनी लगती है, कभी कभी झुलसाती है
छांव सुहानी लगती है, कभी शीतलता भी सताती है
नहीं ठहरता सुख दुख भी, जीवन में आता जाता है
धूप छांव की तरह समय, जीवन को सफल बनाता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी