धूप का सफर
सफर धूप का है छाँव की तलाश करो ।
सुकूँ भरे हुये एक ठाँव की तलाश करो ।।
क्या पता कब ये शहर छोड़ना पड़े यारो ।
इंसानियत से भरे गॉंव की तलाश करो ।।
घटाएँ घिर रहीं तूफान है आने वाला ।
नदी बढ़ेगी जरूर नाँव की तलाश करो ।।
वक्त के साथ कदम भी तो डगमगाते हैं ।
जख्म से बचे कोई पाँव की तलाश करो ।।
बाजी जीती हुई भी अगर हार जाते हो ।
फिर एक बार नए दाँव की तलाश करो ।।