धुनी रमाई है तेरे नाम की
धुनी रमाई है तेरे नाम की
भूल के दुनियादारी
अब आया हू शरण तुम्हारी
हे बाबा भोले भण्डारी
बडी देर लगी
मन भटका गली गली
एक नाम तेरा सच्चा
झूठी ये दुनिया सारी
मोह के बन्धन अनूठे निकले
ना कोई संगी साथी
अजब अनूठे रंग दिखे
जब रही जेब ये खाली रे
बस एक तू ही समझे
कैसा ये मन बैरागी रे
धुनी रमाई है तेरे नाम की
भूल के दुनियादारी रे
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)