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8 Nov 2024 · 1 min read

धीरे-धीरे क्यों बढ़ जाती हैं अपनों से दूरी

धीरे-धीरे क्यों बढ़ जाती हैं अपनों से दूरी
किस चक्कर में फंसे हुए हम क्या है ये मजबूरी !

जिनकी उंगली पकड़ कर हमने था चलना सीखा
उनके ही अब साथ में चलना क्यों लगता है फीका !

जिसने पौधे सींच-सींच कर खिलता चमन बनाया
खिलते हुए गुलाबों को हर काँटों से बचाया !

बदल रहे मौसम में देखो बदल गया है माली
जिसने पौधे बड़ा बनाया उसकी झोली खाली !

समय चक्र की जालें देखो वापस फिर आयेंगी
जो है उनका आज वो कल हमको भी दिखलायेंगी !

मन के द्वार को खोल के देखो हो तुम कितनी अधूरी
सर पर अपने बड़ों का साया होता कितना जरूरी

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