धीरे-धीरे कदम बढ़ाना
जीवन पथ का राह कठीन है
आगे मुश्किल भरा सफर है
कई शूल बिछे है राहों में
सोच – समझकर कदम ले जाना।
राही तुम धीरे-धीरे कदम बढाना।
सपनों की दुनियाँ के पीछे
ऐसे ही न तुम दौड़ जाना
सोच समझकर लक्ष्य बना कर
मंज़िल के तरफ अपना कदम बढना
राही तुम धीरे- धीरे कदम बढ़ाना।
अंधे शौक के पीछे पर कर
तुम अपना लक्ष्य नही भुल जाना
जल्द बाजी के कारण जाकर
मुँह के बल न गिर जाना।
राही तुम धीरे-धीरे कदम बढ़ाना।
पथ तुम्हें भले लगे कठिन
अँधेरा हो भले ही राहों में
यह सब देखकर राही
तनिक नहीं तुम घबराना।
राही तुम धीरे-धीरे कदम बढ़ाना।
अपने मन को हौसला देकर
साहस का गीत सुनना
ईश्वर का नाम दिल से लेकर
तुम आगे को बढ़ जाना।
राही तुम धीरे-धीरे कदम बढ़ाना।
~ अनामिका