धार्मिक आडंबर को सार्वजनिक रूप से सहलाना गैर लोकतांत्रिक
पूजापाठ, रोजानमाज निजी घरों की चारदीवारी के भीतर हो, तभी वह सही है, संविधान के तहत अधिकार के भीतर है। जभी वह सार्वजनिक होता है, गली–मुहल्लों, चौक–चौराहों, मैदानों में जाकर मनता है, उसकी निजता खत्म हो जाती है और धार्मिक भावना तो एकांत में निजी तौर पर संपादित करने की चीज है।
इसलिए, हर धार्मिक आडंबर का सार्वजनिक आयोजन गैर लोकतांत्रिक है, त्याज्य है।