*धारा सत्तर तीन सौ, स्वप्न देखते लोग (कुंडलिया)*
धारा सत्तर तीन सौ, स्वप्न देखते लोग (कुंडलिया)
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धारा सत्तर तीन सौ, स्वप्न देखते लोग
फिर आएगी लौटकर, देगी फिर यह रोग
देगी फिर यह रोग, चाहते मोदी जाऍं
फिर होगा अलगाव, पुनः धारा ले आऍं
कहते रवि कविराय, लगाओ सब मिल नारा
एक देश में एक, विधान बहेगी धारा
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451