धारा तीन सौ सत्तर पैंतीस-ए का अंत
खंडित खंड अखंडित हो महिमामंडित हुआ।
टूटा भ्रम वर्षों पश्चात कभी से पंडित हुआ।।
मोदी प्रयोजन नियोजित बहुमत प्रचंड मिला।
धारा हट जम्मू-कश्मीर लद्दाख खंड खिला।।
धारा तीन सौ सत्तर- पैंतीस-ए यूँ गई।
नयन नीर हृदय पीर घाटी जन का ले गई।
विपक्ष सोचे विलुप्त-सा निरुत्तर हो निर्बल।
छप्पन इंची सीना जनमन हर हो गया प्रबल।।
भारत भाल सजा इतिहास बना मोदी जी तने।
नव-नियमों की घाटी के सृजन साकार बने।।
केन्द्र-अधीन हुआ राज्य विशेषाधिकार गए।
आतंक मिटेगा जनमन स्वप्न खिलेंगे नए।।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मंजूरी हुई।
जम्मू-कश्मीर लद्दाख इच्छा भी पूरी हुई।।
हर वासी स्वच्छंद विचरण कर आनंद ले।
भूमि खरीदे रिश्ते जोडे़ स्वर्ग-सुगंध ले।।
मोदी जी नव शाह नवल कोविंद कमल हुए।
कुंठित-भ्रमर-चक्षु मकरंद वचन सुन सजल हुए।।
कोटि-कोटि नमन अमन के पुष्प-पल्लवित करो।
देशहित के कर्मों से वसुंधरा पुलकित करो।।
–आर.एस.प्रीतम
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