धानी चूनर
श्याम मेघ छाए उनसे धुंधला गया गगन
झमाझम बरसे बदरा पवन चले सन सन
धरणी के सब जीवों के तृप्त हुए तन मन
धानी चूनर ओढ़ धरती धारी हरित वसन
झूम उठे विहग वृंद देख नभ में श्याम घन
प्रियतमा प्रियतम का होने वाला मिलन
नदियों की कलकल झरनों की छन छन
पंछियों का कलरव और मेघों का गर्जन
ओम की गुंजार से गूंज रहे वन उपवन
ओम प्रकाश भारती ओम्