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15 Jun 2023 · 1 min read

धानी चूनर

श्याम मेघ छाए उनसे धुंधला गया गगन
झमाझम बरसे बदरा पवन चले सन सन
धरणी के सब जीवों के तृप्त हुए तन मन
धानी चूनर ओढ़ धरती धारी हरित वसन
झूम उठे विहग वृंद देख नभ में श्याम घन
प्रियतमा प्रियतम का होने वाला मिलन
नदियों की कलकल झरनों की छन छन
पंछियों का कलरव और मेघों का गर्जन
ओम की गुंजार से गूंज रहे वन उपवन

ओम प्रकाश भारती ओम्

Language: Hindi
1 Like · 297 Views
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Books from ओमप्रकाश भारती *ओम्*
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