धर्म सवैया
चार चरण ।सभी चरण समतुकान्ती होने चाहिए।
यति 10, 5,6 पर अनिवार्य।
धर्म सवैया
211 112 111 1, 21 111, 211 112
प्रेम मगन मोहन मन,आस मिलन साजन-सजनी।
योग विरह मेटत शुभ,पूनम शशि
आज सु-रजनी।।
श्याम अधर वेणु मधुर,नीलम नयन मोहन भजनी।
कालपुरु त्रिशूल भुजँग,मोहन कर चक्र तर्जनी।।
नेह लसि पिया विरहन,जोगन दृग,बाट निरखते।
माह दिवस भूलत सब,पावन दिन रात बिलखते।।
टीस प्रबल व्याकुल उर,तीर धनुष देह कुचलते।
आस मिलन पूरण कब हो हृदय सु-भाव मचलते।।
नीलम शर्मा ✍️