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13 Apr 2024 · 1 min read

अस्तित्व को ….

अस्तित्व को ….

जगाते हैं
सारी -सारी रात
तेरे प्रेम में भीगे
वो शब्द
जो तेरे उँगलियों ने
अपने स्पर्श से
मेरे ज़िस्म पर
छोड़े थे
ढूंढती हूँ
तब से आज तक
तेरे बाहुपाश में
विलीन हुए
अपने
अस्तित्व को

सुशील सरना/13-4-24

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