धर्म, ईश्वर और पैगम्बर
मुसलमानों के पास अल्लाह नाम का ईश्वर है
जो अशरीरी है
और एक पैग़म्बर भी हुआ शरीरी उनका
अल्लाह के इक्विवैलेंट कुव्वत वाला
मगर वे
न तो अपने ईश्वर का बुत बनाते हैं
न ही पैगम्बर हज़रत मुहम्मद का
अन्य धर्मों में जबकि
ईश्वरों और पैगम्बरों के बुत के बिना
काम नहीं चलता।
घर, सड़क को पाट रखा है
वैसे, धार्मिक अंधविश्वास शरीरी हो या अशरीरी
वह डरावने रूप से मजबूत होता है
वैज्ञानिक सोच को नुकसान पहुंचाकर
मानवता के क्षय में दोनों ही धर्म रूप
एक तरह से
नहीं है
अवसरवाद का दूसरा नाम है यह!