धर्म अफीम है
धर्म अफीम है
पूरा साल
एक-एक पैसे का
मोहताज रहने वाला
श्रमिक भी
धनतेरस को
अपनी खून-पसीने की
गाढ़ी कमाई से
मिलावटी मिठाई
आतिशबाजी
सेल से
अमीरजादों द्वारा
नकारा गया सामान
खरीदते देखा तो
गूंज पड़े मेरे कानों में
कार्ल मार्क्स के शब्द
धर्म अफीम है अफीम
-विनोद सिल्ला©