धर्मी जब खुल कर नंगे होते हैं।
धर्मी जब खुल कर नंगे होते हैं।
समाज में द्वंद्व और दंगे होते हैं।
note : चाहें तो ‘खुल कर’ को ‘खौल कर’ भी पढ़ सकते हैं!
~ डा. मुसाफिर बैठा
धर्मी जब खुल कर नंगे होते हैं।
समाज में द्वंद्व और दंगे होते हैं।
note : चाहें तो ‘खुल कर’ को ‘खौल कर’ भी पढ़ सकते हैं!
~ डा. मुसाफिर बैठा