धरती मां वसुंधरा
धरती मां वसुंधरा
ब्राह्मंड में सभी अपने अपने स्थान
पर धरती की महिमा न्यारी है
धरती है हरित मानव -फलित
ईश्वर को सबसे प्यारी है।
इसकी रक्षा तू कर मानव
यही तो तेरी महतारी है।
मंदिर भी यही, मस्जिद भी यहीं
यही सर्व विश्व हितकारी है।
तू सदा यहां फूल उगा
महके सदा फुलवारी -सी
कांटों का कोई काम न हो
सजी रहे फुलकारी-सी
हम तुम की दुविधा न हो
सदा रहे यह धरा न्यारी-सी।
इसकी गोद का मान बढ़ा
यह धरती मां वसुंधरा
भाग्यशाली जिसे जन्म मिला
ईश्वर ने यही मानव रुप धरा।।
सन्तोष खन्ना।