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8 May 2024 · 1 min read

धरती बोली प्रेम से

जग में सुंदर एक है, एक ईश्वर का नाम
कोई अल्लाह कहत है, कोई कहता है राम
धरती बोली प्रेम से, सुन मानस के हंस
सकल जगत में बस रहा, एक मालिका वंश
एक सभी में प्रेम है, एक आस विश्वास
एक सभी में भूख है, एक सभी की प्यास
एक सभी की प्रीत है, एक सभी की रीत
एक जन्म एक मृत्यु है, यही जगत की रीत
बंधु जग में एक है, एक मानस की जात
धर्म पंथ मैं भी नहिं, लड़ने की कोई बात
एक खून पानी वसे, बसते हाड़ और मांस
सबका जीवन एक सा, यही बात है खास
प्रेम जगत निर्माण हैं, हिंसा है विध्वंस
एक ओर श्री कृष्ण हैं, एक ओर है कंस
प्रेम जगत में पुण्य है, हिंसा जग में पाप
पाप पुण्य को देखना, दिल में अपने आप
सबको जीवन में सदा, जीवन से है प्यार
लेना-देना जीव का, करता है करतार
दे नहीं सकते चीज जो, क्या लेने का अधिकार
बंदे दिल में धर्म से, करना गहन विचार
सब प्रेमो में प्रेम है, प्रेम एक निष्काम
जाको उर निष्काम है, राखे सबसे प्रेम
सृष्टि की दृष्टि बड़ी, सबको दे उपहार
दाना पानी और हवा, सबको करती प्यार
बंधु इस संसार में, प्रेम बड़ा अनमोल
प्रेम हरि का नाम है, दिल दिमाग को खोल
सत शांति दया क्षमा, धर्म के फल हैं चार
जे उर भीतर धर्म है, कर्म बह करें विचार
प्रेम और भाईचारा, जग में साख बढ़ाओ
हिंसा और आतंकवाद, जग से दूर भगाओ

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
59 Views
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