Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2016 · 1 min read

धरती पुलकित हो उठे आज

धरती पुलकित हो उठे आज
जगती का दुःख हरना होगा ।
इस कर्म-भूमि में असुरों से
फिर धर्म-युद्ध करना होगा ।।
कितने वीरों ने झूम-झूम
फाँसी का फंदा चूम-चूम ।
अपनी रक्तिम प्रति बूँद-बूँद
अर्पित की आँखें मूँद-मूँद ।।
इतिहास रचा हर बाला ने
गर्वित होकर कहना होगा । इस कर्म-भूमि
कटते दुष्टों के रुण्ड-मुण्ड
गिरते भू पर थे झुंड-झुंड ।
थी नीति कृष्ण की धूम-धूम
अर्जुन वाणो ने घूम-घूम ।।
उत्थान किया था भारत का
संस्मरण तुम्हें रखना होगा । इस कर्म-भूमि
मत शक्ति स्वयं की भूल-भूल
उठ सिन्धु लाँघ तू कूल-कूल।
बल,क्षमा-नीति का मूल-मूल
दुर्बलता जग का शूल-शूल।।
क्यों चुप बैठे हो युवा आज
मानव हित में मरना होगा ।
परिजन, यदि दुर्जन,नाश करो
अर्जुन सा दुःख सहना होगा ।।
इस कर्म-भूमि ………।

Language: Hindi
300 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दो शब्द ढूँढ रहा था शायरी के लिए,
दो शब्द ढूँढ रहा था शायरी के लिए,
Shashi Dhar Kumar
"बर्बादी का बीज"
Dr. Kishan tandon kranti
■ आज का शेर...
■ आज का शेर...
*Author प्रणय प्रभात*
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
Ranjeet kumar patre
।।  अपनी ही कीमत।।
।। अपनी ही कीमत।।
Madhu Mundhra Mull
मां तेरा कर्ज ये तेरा बेटा कैसे चुकाएगा।
मां तेरा कर्ज ये तेरा बेटा कैसे चुकाएगा।
Rj Anand Prajapati
अनादि
अनादि
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
तुम्हारा एक दिन..…........एक सोच
तुम्हारा एक दिन..…........एक सोच
Neeraj Agarwal
23/60.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/60.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आश्रय
आश्रय
goutam shaw
इंटरनेट
इंटरनेट
Vedha Singh
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
शीर्षक:
शीर्षक: "ओ माँ"
MSW Sunil SainiCENA
गिरिधारी छंद विधान (सउदाहरण )
गिरिधारी छंद विधान (सउदाहरण )
Subhash Singhai
रोजाना आने लगे , बादल अब घनघोर (कुंडलिया)
रोजाना आने लगे , बादल अब घनघोर (कुंडलिया)
Ravi Prakash
'कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली' कहावत पर एक तर्कसंगत विचार / DR MUSAFIR BAITHA
'कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली' कहावत पर एक तर्कसंगत विचार / DR MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
हादसों का बस
हादसों का बस
Dr fauzia Naseem shad
!! रे, मन !!
!! रे, मन !!
Chunnu Lal Gupta
क्या हुआ जो तूफ़ानों ने कश्ती को तोड़ा है
क्या हुआ जो तूफ़ानों ने कश्ती को तोड़ा है
Anil Mishra Prahari
तु आदमी मैं औरत
तु आदमी मैं औरत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हमारे प्यार का आलम,
हमारे प्यार का आलम,
Satish Srijan
तुम ने हम को जितने  भी  गम दिये।
तुम ने हम को जितने भी गम दिये।
Surinder blackpen
ये जो दुनियादारी समझाते फिरते हैं,
ये जो दुनियादारी समझाते फिरते हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
हिन्दी दोहा -जगत
हिन्दी दोहा -जगत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जीवन भी एक विदाई है,
जीवन भी एक विदाई है,
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
सागर
सागर
नूरफातिमा खातून नूरी
पिता है तो लगता परिवार है
पिता है तो लगता परिवार है
Ram Krishan Rastogi
विधवा
विधवा
Acharya Rama Nand Mandal
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
कवि रमेशराज
एक गुनगुनी धूप
एक गुनगुनी धूप
Saraswati Bajpai
Loading...