धरती पर ही रब हुआ
** धरती पर ही रब हुआ **
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तू ही मेरा सब कुछ हुआ,
धरती पर ही रब हुआ।
मन मंदिर में है धर लिया,
दिल में ही कब से घर हुआ।
दुनिया की ऐसी ही हवा,
खो ना जाओ अब डर हुआ।
काली रातें तुझ से चांदनी,
नभ मे तारों के मै संग हुआ।
रोता है दिल तुमको यादकर,
बहते आँसू मुख नम हुआ।
मनसीरत जैसे तुम दामिनी,
गरजोगी तुम दूर तम हुआ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)