“धरती गोल है”
“धरती गोल है”
चाहे वक्त की कोई भी आहट हो
जमीर कभी ना गुलाम कीजिए,
धरती गोल है कहीं मुलाकात होगी
कभी आखिरी ना सलाम कीजिए।
“धरती गोल है”
चाहे वक्त की कोई भी आहट हो
जमीर कभी ना गुलाम कीजिए,
धरती गोल है कहीं मुलाकात होगी
कभी आखिरी ना सलाम कीजिए।