Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2023 · 4 min read

धरती के अवतंस (पुस्तक समीक्षा)

पुस्तक समीक्षा- धरती के अवतंस
—-पुस्तक चर

********************************
प्रकाशक : विश्व पुस्तक प्रकाशन
304-ए, बी0/जी0-6, पश्चिम विहार,
नई दिल्ली-63, भारत
प्रकाशन वर्ष : 2013 ई0
*******************************
धरती के अवतंस लेखक-डॉ महेश दिवाकर, डी.लिट्.
————————-
यह पुस्तक परम् आदरणीय डॉ0 महेश दिवाकर जी द्वारा लिखित 34 संस्मरण का एक अनुपम संग्रह है इसके प्रथम अध्याय ‘हे तेजस्वी आत्मा! (पृष्ठ सं0-3) के द्वारा आपने अपने पूजनीय पिताजी की यादों का एक सुंदर संस्मरण लिखा है द्वितीय अध्याय में ‘मेरी दादी मां’ (पृष्ठ सं0-10) के द्वारा अपनी दादी मां से जुड़े सभी स्मरण को लेखनी के माध्यम से इस पुस्तक में चित्रित किया है ‘एक महाप्रस्थान और..’ (पृष्ठ सं0-16) के द्वारा स्वयं की माताजी के साथ समय के अंतिम पलों को शब्दों के द्वारा प्रकट किया है। ‘बड़ी याद आती है’ (पृष्ठ सं0-25) के द्वारा स्वर्गीय डॉक्टर कुंदन लाल जैन की सानिध्य में व्यतीत समय को याद किया है ‘सच्चे मानव’ (पृष्ठ सं0-30) के द्वारा सुभाष चंद्र सक्सेना द्वारा श्री सतीश अग्रवाल जी से परिचय एवं उनके साथ बिताए पलों को साझा किया है ‘ईमानदार एवं स्वाभिमानी व्यक्तित्व’ (पृष्ठ सं0-38) के द्वारा प्रोफेसर ओमराज के स्मरण चित्रित किए हैं ‘पत्रकारिता के महानायक’ (पृष्ठ सं0-45) के द्वारा श्री बाबू सिंह चौहान जी के व्यक्तित्व तथा संबंधों की चर्चा की है ‘वे एक सच्चे और अच्छे इंसान हैं’ (पृष्ठ सं0-50) के द्वारा दक्षिण भारतीय डॉ बाल शौरि रेड्डी के साथ बिताए पल और उनके हिंदी और तेलुगू साहित्य में योगदान की चर्चा की है ‘बड़े याद आते हैं तोमर चाचा’ (पृष्ठ सं0-55) के द्वारा मुरैना मध्य प्रदेश के साहित्यकार श्रीगंधर्व सिंह ‘तोमर चाचा’ की सहजता और सहृदयता से परिचय कराया है ‘वे एक वट वृक्ष थे’ (पृष्ठ सं0-59) के द्वारा अलीगढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ छैल बिहारी गुप्त ‘राकेश’ जी से परिचित कराया है ‘आत्मीयता के सिंधु’ (पृष्ठ सं0-64) के द्वारा प्रोफेसर नजीर मोहम्मद साहब को आज के रसखान के रूप में प्रदर्शित करते हुए दिखाया है ‘मानवीय मूल्यों के प्रेरक’ (पृष्ठ सं0-67) के द्वारा मुरादाबाद के प्रथम महापौर बाबू लक्ष्मण प्रसाद अग्रवाल जी के साथ अपना परिचय और स्मृतियों को ताजा किया है ‘लोक साहित्य और अध्यात्म के संगम : पंडित रमेश मोरोलिया’ (पृष्ठ सं0-71) के द्वारा संगीतकार और साहित्यकार पंडित रमेश मोरालिया के साथ अपने अनुभव को संस्मरण के रूप में चित्रित किया है ‘जीवट व्यक्तित्व के धनी’ (पृष्ठ सं0-76) संस्मरण के द्वारा बरेली के प्रोफेसर राम प्रकाश गोयल जी का व्यक्तित्व चित्रित किया है ‘आत्मीय व्यक्तित्व’ (पृष्ठ सं0-80) कविवर रामप्रकाश ‘राकेश’ जी का व ‘भारतीय संस्कृति का अनूठा सेवी’ (पृष्ठ सं0-85) के रूप में श्री राजेंद्र नाथ मेहरोत्रा जी का तथा ‘मानवता के सच्चे सेवक’ (पृष्ठ सं0-90) के रूप में समाजसेवी रामेश्वर प्रसाद मित्तल जी का ‘पथ प्रदर्शिका : वंदना जीजी’ (पृष्ठ सं0-98) संस्मरण के माध्यम से उन्होंने के0जी0के0 कॉलेज, मुरादाबाद के प्राचार्य महेंद्र प्रताप जी की बेटी आदरणीया वंदना जी के साथ अपने भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की कहानियां और संस्मरण को चित्रित किया है चित्रित किया है ‘गीत संगीत और चित्रकला की त्रिवेणी’ (पृष्ठ सं0-105) के द्वारा प्रोफेसर विनय शुक्ल व ‘वेद ऋषि संस्कृति एवं साहित्य के अनन्य सेवी’ (पृष्ठ सं0-111) के रूप में श्री वीरेंद्र गुप्त जी तथा ‘महान रचनाकार एवं आदर्श शिक्षक’ (पृष्ठ सं0-115) के द्वारा श्री सुभाष चंद शर्मा ‘नूतन’ जी के साथ परिचय संस्मरण के रूप में याद किया है ‘प्रवासी साहित्यकार प्रोफेसर हरिशंकर आदेश’ (पृष्ठ सं0-119) में प्रोफ़ेसर हरिशंकर आदेश के के व्यक्तित्व और उनके समग्र साहित्य को आधार बनाकर लिखा गया ग्रंथ प्रवासी महाकवि प्रोफेसर हरिशंकर आदेश अमृत महोत्सव ग्रंथ की चर्चा की है ‘भारतीय सांस्कृतिक गरिमा के उन्नायक संत प्रवर श्री प्रखर महाराज जी’ (पृष्ठ सं0-124) मैं परम पूज्य संत प्रवर महामंडलेश्वर प्रखर महाराज जी जो कि भारत की राष्ट्र के सर्वागीण अंकेश स्थापित श्री प्रखर परोपकार मिशन के संस्थापक से अपनी भेंट पर प्रकाश डाला है ‘मिलनसार व्यक्तित्व के संवाहक’ (पृष्ठ सं0-129) के रूप में ऐतिहासिक नगरी संभल के डॉक्टर गिर्राज शरण अग्रवाल जी व्यक्तित्व और साहित्य में योगदान पर प्रकाश डाला है ‘आदर्शवादी संचेतना के प्रवासी साहित्यकार : शरद आलोक’ (पृष्ठ सं0-134) में डॉ सुरेश चंद्र शुक्ला उर्फ शरद आलोक के साथ स्मृतियों को ताजा किया है ‘आत्मीयता के पुंज के माध्यम’ (पृष्ठ सं0-141) से गुरु नानक देव विश्वविद्यालय प्रोफेसर हरमहेंद्र सिंह बेदी जी के मुरादाबाद आमंत्रण पर परिचय को चित्रित किया है ‘विलक्षण व्यक्तित्व के धनी’ (पृष्ठ सं0-145) के द्वारा बुलंदशहर खुर्जा के डॉक्टर राम अवतार शर्मा के साथ बिताए पलों का संस्मरण किया है ‘एक विशाल वट-वृक्ष थे बाबू जी- कुंवर महिपाल सिंह जी’ (पृष्ठ सं0-151) में गुलाब सिंह हिंदू महाविद्यालय चांदपुर सियायू बिजनौर के आजीवन संस्थापक अध्यक्ष कुंवर महिपाल सिंह जी के व्यक्तित्व और आदर्शों पर प्रकाश डाला है ‘कुछ क्षण सरस्वती की वरद पुत्री के साथ’ (पृष्ठ सं0-157) के द्वारा मेरठ की आलोच्य साहित्यकार डॉ सुधा गुप्ता जी के कृतित्व एवं भेंट को प्रकाशित किया है ‘यादों के दर्पण में स्वर्गीय वीरेंद्र सिंह जी’ (पृष्ठ सं0-166) के द्वारा बुलंदशहर जनपद के स्वर्गीय वीरेंद्र सिंह जी के साथ एवं उनके पुत्र अजय जन्मेजय के व्यक्तित्व का संस्मरण एवं ईमानदारी का चित्रण किया है ‘अनिल जी एक सच्चे आर्य समाजी थे’ (पृष्ठ सं0-173) में अपने साले साहब श्री अनिल जी के व्यक्तित्व और उनके आर समाज के प्रति लगाव और योगदान को चित्रित किया है ‘मेरे अंतरंग मित्र स्वर्गीय कृष्ण गोपाल सिंह सिसोदिया’ (पृष्ठ सं0-178) के द्वारा धामपुर बिजनौर के अपने अंतरंग मित्र कृष्ण गोपाल सिसोदिया जी और उनके साथ मित्रता के अनुभव से भरा संस्मरण चित्रण किया है ‘अनूठे व्यक्तित्व के स्वामी साहित्यकार श्री चरण सिंह ‘सुमन’ (पृष्ठ सं0-186) के द्वारा समाजसेवी राजनीति के साहित्यकार श्री चरण सिंह सुमन जी के व्यक्तित्व और परिचय का संस्मरण किया है पुस्तक के अंत में ‘एक था शैंकी’ शीर्षक के माध्यम से अपने प्रिय पालतू कुत्ते शैंकी के मृत्यु उपरांत उसके उसकी गतिविधियों का संस्मरण तथा मृत्यु के पश्चात राम गंगा में प्रवाहित करने से लेकर समस्त परिवार का उसके प्रति स्नेह का बहुत ही मार्मिक वर्णन किया है। यह पुस्तक संस्मरण विधा की एक अनुकरणीय कृति है। कोई भी नवोदित साहित्यकार इस पुस्तक को पढ़कर संस्मरण लिखने की विधा को तथा उसके प्रत्येक अंग से परिचित हो सकता है। पुस्तक के लेखक डॉक्टर महेश दिवाकर जी को पुनः बहुत-बहुत धन्यवाद शुभकामनाएं ज्ञापित करता हूं।
—दुष्यंत ‘बाबा’
पुलिस लाईन, मुरादाबाद

114 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चलो बनाएं
चलो बनाएं
Sûrëkhâ
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
👌आभास👌
👌आभास👌
*प्रणय*
4) धन्य है सफर
4) धन्य है सफर
पूनम झा 'प्रथमा'
अलगाव
अलगाव
अखिलेश 'अखिल'
प्यार में पड़े किसी इंसान की दो प्रेमिकाएं होती हैं,
प्यार में पड़े किसी इंसान की दो प्रेमिकाएं होती हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
निश्चित जो संसार में,
निश्चित जो संसार में,
sushil sarna
माना जिंदगी चलने का नाम है
माना जिंदगी चलने का नाम है
Dheerja Sharma
Love is a physical modern time.
Love is a physical modern time.
Neeraj Agarwal
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
Arvind trivedi
तहजीब राखिए !
तहजीब राखिए !
साहित्य गौरव
व्याकुल मन की व्यञ्जना
व्याकुल मन की व्यञ्जना
हिरेन जोशी
हृदय वीणा हो गया।
हृदय वीणा हो गया।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
4474.*पूर्णिका*
4474.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*नेत्रदान-संकल्प (गीत)*
*नेत्रदान-संकल्प (गीत)*
Ravi Prakash
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
राधेश्याम "रागी"
तस्मात् योगी भवार्जुन
तस्मात् योगी भवार्जुन
सुनीलानंद महंत
रमेशराज के विरोधरस के दोहे
रमेशराज के विरोधरस के दोहे
कवि रमेशराज
Dead 🌹
Dead 🌹
Sampada
वो मेरा है
वो मेरा है
Rajender Kumar Miraaj
" इतिहास "
Dr. Kishan tandon kranti
9 .IMPORTANT REASONS WHY NOTHING IS WORKING IN YOUR LIFE.🤗🤗🤗
9 .IMPORTANT REASONS WHY NOTHING IS WORKING IN YOUR LIFE.🤗🤗🤗
पूर्वार्थ
ना चाहते हुए भी
ना चाहते हुए भी
हिमांशु Kulshrestha
लक्ष्य गर समक्ष है तो
लक्ष्य गर समक्ष है तो
अर्चना मुकेश मेहता
इनपे विश्वास मत कर तू
इनपे विश्वास मत कर तू
gurudeenverma198
शांत मन को
शांत मन को
Dr fauzia Naseem shad
ज़िंदगी के सौदागर
ज़िंदगी के सौदागर
Shyam Sundar Subramanian
💐 *दोहा निवेदन*💐
💐 *दोहा निवेदन*💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
" नयन अभिराम आये हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
Shweta Soni
Loading...