धमकियां शुरू हो गई
तुमसे मिलके तो, मेरी दुनिया शुरू हुई थी
कि धमकियां शुरू हो गई।
तुझे पाने की, खुशियां शुरू हुई थी
कि धमकियां शुरू हो गई।
क्या करू दिल मानता नही तुमसे मिले बगैर
मेरे रग-रग में बसा है तेरे इश्क का जहर क्या
करू तेरे साथ, मस्तियां शुरू हुई थी
कि धमकियां ……..
कैसे दिखाऊं की बर्दी तेरे प्यार का ओढ़ बैठा हु
क्या बताऊं जब तुम पूछती हो की मैं कैसा हु
क्या कहूं जब मेरी खिलियां शुरू हुईं थी
कि धमकियां ………
कब तक किसी के डर से बैठा रहूंगा मैं
जो भी होना होगा उसे देख लूंगा मैं
क्या करू तेरे साथ रहना शुरू हुई थी
कि धमकियां ……..
✍️ बसंत भगवान राय