*धन्य-धन्य वे वीर, लक्ष्य जिनका आजादी* *(कुंडलिया)*
धन्य-धन्य वे वीर, लक्ष्य जिनका आजादी (कुंडलिया)
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आजादी की थी सुरभि ,प्राणों का था खेल
अर्पित उनको दो सुमन ,गए वीर जो जेल
गए वीर जो जेल ,कैरियर अपना खोया
माँ को बंदी देख , हृदय जिनका था रोया
कहते रवि कविराय , हकूमत क्रूर ढहा दी
धन्य – धन्य वे वीर ,लक्ष्य जिनका आजादी
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रचयिता : रवि प्रकाश,
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451