धनपत राय
धनपत राय
फटे जूते पहना,
शक्ल उतरी-सी , मूछों का गहना l
वो कुरीतियों पर नकेल कसता-सा ,
उजले सितारे की तरह चमका-सा,
अलग नज़र आता है l
जनता का लेखक ,
वह कहलाया जाता है l
युग प्रवर्तक, महान कथाकार,साहित्यिक पुरखा …
उसे माना जाता है,
न अस्त्र से वह खून बहाता है ,
मात्र एक कलम से ही ,
विद्रोह की हुंकार भर जाता है l
वह वही नदी है ,
जो पर्वत चीर कर रह बनाती है l
धनपत राय है, नाम उनका
प्रेमचंद वह कहलाए जाते हैं l
युगों-युगों का लेखक , प्रेमचंद
हमारे दिलों में ज़िंदा रहेगा l
परदे से दूर , असलियत के करीब ,
उसका व्यक्तित्व हमेशा अमर रहेगा ll