धनतेरस
धनतेरस
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शुभाशीष शुभकामना, धनतेरस का अरमान
खुश रहें,सब लोगन,यह धन्वंतरि का वरदान
अमृत तुल्य औषधि अधिक, प्रकृति में भगवान
खोज निकाला धन्वंतरि, धनतेरस का वरदान।।
खोजी हो तो खोजिये, ज्ञानी हो तो रख ज्ञान
प्रकृति की कर रक्षा,अमृत कीजिएगा रस पान।।
धनतेरस को दीप प्रज्ज्वलित,कृष्ण पक्ष की रात
प्रकाश मय हो जीवन सफल, कवि हृदय की बात।
अमृत तुल्य है औषधि, हर्रा बहेरा अर देवनाशन
जीरा धनिया अदरक, अनेक रूप में भुत नाशन
धनतेरस का महत्व अलग, पुजित है विज्ञान
धर्म पर्व अरू वैज्ञानिकता, समाहित है ज्ञान
स्वरचित रचना
डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग