Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Sep 2018 · 3 min read

धत्त तेरे की

धत्त तेरे की

तरह-तरह की व्यस्तता के बीच आ गये मग विदूषक देवन मिसिर. कहा गया, ” इनपर कहानी लिखीए.”
आँती में इनपर एक गोष्ठी रखी गयी है १३ सितम्बर को. राजभाषा विभाग के निदेशक मुख्य अतिथि रहेंगे. आपको इनपर कहानी लिखना है, ताकि बढ़िया परिवेश बने.
कहानी पर सोंच बनने लगी और लिखने को उत्प्रेरित हुआ, अपने भाई राजु की उत्प्रेरणा से.
देवन मिसिर पर के खिस्से- कहानियाँ प्रथम श्रेणी के घर पर बाबा से एवं ननिहाल में नानी से सुना करता था. द्वितीय और तृतीय श्रेणी की भेग कहानियाँ इधर-उधर से. जिसमें मामा-मामी तथा अन्यान्य जिनसे मजाक का रिस्ता चलता.
खिस्सा तो बहुत सुनता था, मगर स्मरण में एक-दो ही रह गया था. भागदौड़ भरी जिंदगी में कितना-क्या-कुछ याद रहे ? फिर भी जो याद रहा उसको लिखने में लगा और कहानी बनने लगी. इसमें अपनी पंडिताइन भी सहायक बनीं.
“इ अइसे न अइसे”
बाद में पंडिताइन गरमाने भी लगीं, “तुँ लिखबs कहानी. घर में दिन-दिनभर बइठ के देवन मिसिर पर कहानी लिखे चललन हे.”
अब लिजीए.
घर से चचा जी का फोन आ गया. ” का दिलीप का चल रहा है अभी ? सब ठीक है न ?”
“जी चचा जी प्रणाम !”
“तब इधर आने का……….”
“आँती में देवन मिसिर पर एक कार्यक्रम है, उसी में जाना है. बाबुजी कैसे हैं ? हम तो फोन लगाते हैं तो उठाते ही नहीं हैं.”
“ठीक हैं, उनका केस का डेट और आगे खिंचा गया दिसम्बर में डेट पड़ा है. पिंटू का ससुर कहता है वकील जो कहेगा, वही हम करेंगे.”
हद हैं बाबुजी.
फिर बाबुजी का एक दिन बाद फोन आता है, “छोटका बताया है कि तुँ आँती जा रहे हो. मत जाना उधर, बड़ा इलाका खराब है. अरे ! देवन मिसिर पर त बहुते कहानी हमरा याद है. एकरा मतलब का ?”
” प्रणाम बाबुजी! तब हमर हिंसबा…………”
बस फोने कट गया.
ओह! हिस्सा के चर्चा अभी काहे ला कढ़ाबे गये थे. एकाध कहानी जरूरे उकट देते और हमरा उसका प्लॉट भेंटा जाता. खैर ! इ चचा से भी सावधाने रहे के जरूरत है. लगता है, इधर के बात उधर तक सीधा- सीधी पहुँचा देते हैं.
पाँच कहानी जैसे-तैसे कर के लिखीए दिया. पोस्ट भी किया, सब पसन्द भी किए और टिप्पणी भी दिए.
उधर बैनर में मेरा नाम कथा वाचक के रूप में छप गया. अहसास हुआ, बहुत बड़ी जिम्मेवारी मुझपर लाद दी गयी है. जब कहानी लिखने बैठा था, तब एकदम खाली-खाली था. कार्यक्रम की तिथि नजदीक आते-आते व्यस्तता भी बढ़ने लगी. पूजा-पाठ, जप-तप, जजमान डिलींग, गाड़ी आर्डर सबकुछ. क्या किया जाय? एक खबर और आ गयी, “कार्यक्रम एकदिन पहले ही होगा. निदेशक साहब को १३ को दूसरे कार्य में व्यस्तता है. इस कारण.”
ले बलइया.
मुझे कहा गया , “आप ग्यारह को ही चले आइए.”
मतलब की मुझे दस को चलना होगा. दस को तरह-तरह की व्यस्तता. दोपहर को एक सन्तरागाछी- अमृतसर साप्ताहिक सुपरफास्ट ट्रेन थी. मगर छुट गयी. उससे गया तक जाने में आराम मिलता.
“पंडित जी, विश्वकर्मा पूजा का लिस्ट दे देते न.”
सोचा, चलें इनका लिस्ट दे देते हैं, अब तो जाना भी होगा तो रात में बस से.
लिस्ट देकर वापस घर आये. मन भारी लगने लगा. मिजाज असहज होने लगा. मन में विचार बनने लगा, “न जाएँगे.”
“कितना कार्यक्रम लिए हुए हैं ? सब बइठुआ काम. कहीं गड़बड़ा गया तो……… तबीयत गड़बड़ लग रहा है सो अलग.”
राजु के पास फोन लगाया. खाली घंटी बज के रह गया. चल भाई.
रात की बस भी नहीं पकड़ा. अब देखेंगे कल.
ग्यारह को ६ बजे के लगभग सुबह में पुरूषोत्तम है. मगर हो गया रात्रि जागरण. एक जजमान आ गये, और समस्या पर समस्या पटकते गये. जिसका निदान सुनते-सुनते साढ़े बारह रात कर दिए.
“ओह! पंडित जी, ये तो साढ़े बारह बज गया. हम फिर ……..”
पंडिताइन पकपका के किबाड़ बन्द करके सो गयीं. मुझे भुख लगी है सो अलग. रसोई में जाने का पावर नहीं है. ऐसे ही सोने का प्रयास करने लगा. मगर निन्द माई मर गयीं थीं. आ गये थे देवन मिसिर अपनी एक कहानी के साथ. पुरी रात कहानी चलती रही. ब्रह्म मुहुर्त में पुरा हुआ. तब नींद आ गयी जो टूटी ठीक साढ़े आठ में. तबतक पुरूषोत्तम पुरूलिया पार कर रही होगी. धत्त तेरे की.

Language: Hindi
975 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
बेहतर कल
बेहतर कल
Girija Arora
संस्कार
संस्कार
Dr.Pratibha Prakash
तुझे बताने
तुझे बताने
Sidhant Sharma
मैं जब भी लड़ नहीं पाई हूँ इस दुनिया के तोहमत से
मैं जब भी लड़ नहीं पाई हूँ इस दुनिया के तोहमत से
Shweta Soni
तप त्याग समर्पण भाव रखों
तप त्याग समर्पण भाव रखों
Er.Navaneet R Shandily
भावनाओं से सींच कर
भावनाओं से सींच कर
Priya Maithil
उहे सफलता हवय ।
उहे सफलता हवय ।
Otteri Selvakumar
जब दिल से दिल ही मिला नहीं,
जब दिल से दिल ही मिला नहीं,
manjula chauhan
धरती के कण कण में श्री राम लिखूँ
धरती के कण कण में श्री राम लिखूँ
हरीश पटेल ' हर'
"चले आते"
Dr. Kishan tandon kranti
#justareminderdrarunkumarshastri
#justareminderdrarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अधूरा घर
अधूरा घर
Kanchan Khanna
अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर
अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर
सत्य कुमार प्रेमी
आजाद पंछी
आजाद पंछी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
जिसका समय पहलवान...
जिसका समय पहलवान...
Priya princess panwar
बेड़ियाँ
बेड़ियाँ
Shaily
No love,only attraction
No love,only attraction
Bidyadhar Mantry
🙌🧠🍀 People will chase you in
🙌🧠🍀 People will chase you in
पूर्वार्थ
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
Upon the Himalayan peaks
Upon the Himalayan peaks
Monika Arora
३ बंदर(३ का पहाड़ा)
३ बंदर(३ का पहाड़ा)
Dr. Vaishali Verma
पापा का संघर्ष, वीरता का प्रतीक,
पापा का संघर्ष, वीरता का प्रतीक,
Sahil Ahmad
- अपनो की दिक्कते -
- अपनो की दिक्कते -
bharat gehlot
अगर हो अंदर हौसला तो पूरा हर एक काम होता है।
अगर हो अंदर हौसला तो पूरा हर एक काम होता है।
Rj Anand Prajapati
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
गीत- मेरी आवाज़ बन जाओ...
गीत- मेरी आवाज़ बन जाओ...
आर.एस. 'प्रीतम'
" रहस्मयी आत्मा "
Dr Meenu Poonia
अधूरा इश्क़
अधूरा इश्क़
Dipak Kumar "Girja"
Loading...