धक्के ही धक्के मिलते हैं
भ्रष्टाचार पर देकर आया, एक प्रभावी भाषण
देखो कैसे मार रहा है, वही गरीबों का राशन
मरते रहे कुपोषित बच्चे, उसने माल कमाया
उसका तो व्यवसाय यही है, काम है जमा जमाया
शासन की हर योजनाओं पर, गिद्ध दृष्टि रखता है
जनता में आने से पहले, उसके छेद परखता है
नेता अफसर और ये दल्ले, कहां नहीं मिलते हैं
सूखा बाढ़ गंभीर आपदा, कफन में पैसे मिलते हैं
पात्र जो दावेदार यहां, धक्के ही धक्के मिलते हैं